वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस के लिए उत्तराखंड तैयार , देहरादून के परेड ग्राउंड में 12 से 15 दिसंबर तक चलेगा विश्व स्तरीय आयोजन, साढे़ छह हजार से ज्यादा रजिस्ट्रेशन
आयोजन के लिए सभी तैयारियां पूरी,
आयोजन में भाग लेने के लिए साढे़ छह हजार से ज्यादा रजिस्ट्रेशन अभी तक हुए
देहरादून। वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो-2024 गुरुवार से देहरादून के परेड ग्राउंड में शुरू होने जा रही है। यह विश्व स्तरीय महा आयोजन 12 से 15 दिसंबर तक आयोजित होगा। उत्तराखंड अतिथि देवो भव के लिए पूरी तरह तैयार है। इस आयोजन की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। चार दिवसीय आयोजन के दौरान छोलिया नृत्य के रंग, काफली-लाल भात के संग,हर शाम होंगे गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी लोक नृत्य के कार्यक्रम आयोजित होंगे।
डेलीगेट्स के लिए तैयार मैन्यू में दो दर्जन से ज्यादा पहाड़ी आइटम रखे गए हैं।
आयुर्वेद के इस महाकुंभ के लिए अब तक साढ़े छह हजार से ज्यादा रजिस्ट्रेशन हो गए हैं जो इस आयोजन की सफलता के लिए अच्छा संकेत दे रहे हैं। कार्यक्रम 12 दिसंबर से शुरू होना है। पिछले वर्ष गोवा में आयोजित इस आयोजन के नौवें संस्करण में सबसे ज्यादा 5102 डेलीगेट्स पहुंचे थे। जिस हिसाब से रजिस्ट्रेशन हुए हैं, उसके मुताबिक ही डेलीगेट्स की उपस्थिति रहने पर उत्तराखंड के नाम एक उपलब्धि दर्ज होना निश्चित माना जा रहा है।
वर्ष 2002 से वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस के आयोजन हो रहे हैं। इस बार मेजबानी का अवसर उत्तराखंड को मिला है। अब तक के इस आयोजन के सफर में डेलीगेट्स की संख्या बढ़ती-घटती रही है। मगर रजिस्ट्रेशन को पैमाना माने, तो उत्तराखंड के लिए अच्छी तस्वीर दिखाई दे रही है। देवभूमि उत्तराखंड आने में डेलीगेट्स की दिलचस्पी नजर आ रही है। आयुष सचिव रविनाथ रामन के अनुसार अभी तक साढे़ छह हजार से ज्यादा रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। इस महा आयोजन की तैयारी जोरों पर है और इसे अभूतपूर्व बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
देशों की संख्या, प्रतिनिधियों पर भी नजर
वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो-2024 में देशों की संख्या और प्रतिनिधियों पर भी उत्तराखंड की नजर है। पिछले वर्ष गोवा में आयोजित इस आयोजन में सबसे ज्यादा 53 देशों ने भागीदारी की थी। विदेशी प्रतिनिधियोें की संख्या भी पिछले वर्ष ही सबसे ज्यादा रही थी और 295 विदेशी प्रतिनिधि आयोजन का हिस्सा बने थे। इस बार उत्तराखंड 54 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधित्व की उम्मीद कर रहा है। इसी तरह, विदेशी प्रतिनिधियों की संख्या को लेकर भी निगाहें टिकी हैं।
भोजन से लेकर मनोरंजन तक में मिलेगी उत्तराखंडी छाप
देहरादून। आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो-2024 में खाने से लेकर मनोरंजन तक में उत्तराखंडी छाप देखने को मिलेगी। देश-विदेश के डेलीगेट्स की थाली में दो दर्जन से ज्यादा पहाड़ी आइटम परोसे जाएंगे। चार दिन का मैन्यू तैयार कर लिया गया है। दो दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए तय हुए हैं, जिसमें मांगल गायन से लेकर छोलिया और अन्य उत्तराखंडी नृत्यों की प्रस्तुति दी जाएगी।
विश्व स्तरीय यह आयोजन 12 से 15 दिसंबर तक परेड ग्राउंड देहरादून में होने जा रहा है। इस दौरान आयुर्वेद पर गहन मंथन किया जाएगा। इस बडे़ अवसर पर पहाड़ी संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए भी कदम उठाए गए हैं। आयुष सचिव रविनाथ रमन के अनुसार डेलीगेट्स के भोजन और इस दौरान होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उत्तराखंड की संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी।
देश-विदेश के डेलीगेट्स के लिए ये होगा मैन्यू
देहरादून।वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस में 12 दिसंबर को पहले दिन मंडुवे की रोटी, घर का मक्खन, गहत की भरवा रोटी घी में सेकी, राई की सब्जी, गहत की दाल/तुअर की दाल, लाल साठी भात, झंगोरे की खीर, टिमरू की चटनी।
13 दिसंबर को दूसरे दिन मंडुवे की रोटी, घर का मक्खन, पालक की काफली, उड़द की दाल, लाल साठी भात, बाल मिठाई, रोटने, भंगेरे/भंगजीरे की चटनी।
14 दिसंबर को तीसरे दिन मंडुवे की रोटी, घर का मक्खन, गहत की भरवा रोटी घी में सेकी, आलू की थिच्वाणी, भट्ट की चुटकाणी, झंगोरे का भात, सिंगोरी मिठाई, केले के गुलगुले, सफेद भुने भट्ट और तिल की चटनी।
15 दिसंबर को चौथे दिन से मंडुवे की रोटी, घर का मक्खन, तिल कुचाई, भट्ट की चुटकाणी, चंबा का राजमा, लाल साठी भात, घुगती, अस्के, पीली राय की चटनी।
उत्तराखंडी लोक संगीत के कार्यक्रम भी होंगे
12 दिसंबर सुबह के सांस्कृतिक कार्यक्रम
कंचन भंडारी एवं साथी-मांगल गायन
उद्यांचल पर्वतीय कला समिति-छोलिया नृत्य
12 दिसंबर शाम के सांस्कृतिक कार्यक्रम
नव हिमालय लोक कला समिति-कुमाऊंनी लोक नृत्य
ब्रहम कमल सांस्कृतिक समिति-गढ़वाली लोक नृत्य
जौनसार बावर सांस्कृतिक गांव का रिवाज संस्था-जौनसारी लोक नृत्य
पदमश्री प्रीतम भरतवाण-जागर
14 दिसंबर शाम के सांस्कृतिक कार्यक्रम
संस्कार सांस्कृतिक एवं पर्यावरण संरक्षण समिति-कुमाऊंनी लोक नृत्य
संगम सांस्कृतिक समिति-गढ़वाली लोकनृत्य
स्पर्श जनजाति सामाजिक एवं सांस्कृतिक संध्या-जौनसारी लोक नृत्य
संगीता ढौंडियाल-लोक गायन शामिल है।
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“उत्तराखंड का सौभाग्य है कि वह आयुर्वेद के इस विश्व स्तरीय कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। आयुर्वेद के लिहाज से उत्तराखंड की धरती हमेशा से समृद्ध रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष को दुनिया भर में प्रचारित प्रसारित करने का बीड़ा उठाया है। इस आयोजन से निश्चित तौर पर हम इस दिशा में और आगे बढ़ेंगे।” :- पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री