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उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन   विधायक स्वर्गीय शैला रानी रावत और कैलाश चंद्र गहतोड़ी को  अर्पित की श्रद्धांजलि, सीएम पुष्कर धामी ने दोनों विधायकों के निधन को बताया अपूरणीय क्षति

स्व.शैलारानी ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा और जनकल्याण के लिए समर्पित किया
 गैरसैंण । उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन केदारनाथ की विधायक स्वर्गीय शैला रानी रावत और चंपावत के पूर्व विधायक स्वर्गीय कैलाश चंद्र गहतोड़ी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सदन में कहा कि स्व. शैलारानी रावत केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के लोगों के बीच में हमेशा उनके संघर्षों के साथ खड़ी रही। उनका चला जाना एक खालीपन दे गया है। उनका जाना एक अपूरणीय क्षति है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व. शैलारानी रावत एक प्रखर नेत्री थी जो हर किसी से बेहद आत्मीयता से मिलती थी। वे राज्य एवं क्षेत्र के मुद्दों को प्रभावशाली रूप में उठाती रही। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व.शैलारानी रावत ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा और जनकल्याण के लिए समर्पित किया और वे हमेशा अपने क्षेत्र के लोगों के लिए तत्पर रहती थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे उनसे कई बार मिलने का अवसर प्राप्त हुआ और उन्होंने हमेशा एक छोटे भाई की भांति स्नेह प्रदान किया। उनके साथ मेरी कई स्मृतियां जुड़ी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद जब वे विधायक नहीं भी थी तब भी वह स्थानीय लोगों को लेकर उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए आती थी। उनके कार्य सदा हमें प्रेरणा देते रहेंगे। 7 जनवरी 1956 को टिहरी जनपद के ग्राम गडोलिया में पदम सिंह राणा के घर में जन्मी शैलारानी रावत ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं वर्ष 2012 में वे पहली बार केदारनाथ विधानसभा से निर्वाचित हुई। उसके बाद वर्ष 2022 में वे पुनः निर्वाचित हुई।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत से विधायक रहे स्व.कैलाश चंद्र गहतोड़ी के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि स्व. गहतोड़ी वन विकास निगम के अध्यक्ष थे। उनका जाना मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भारी कष्ट है और एक अंदरूनी क्षति है। उनकी कमी सदा मेरे जीवन में खलती रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने सदा मेरा मार्गदर्शन करने का कार्य किया। चंपावत क्षेत्र के विकास के लिए वे पूर्ण रूप से समर्पित रहे। अपने जीवन काल में उन्होंने लोगों को सरकारी योजनाओं बल्कि निजी रूप से भी उन्होंने लोगों की मदद की। त्याग और बड़प्पन उनकी विशेषताओं में शामिल था। उनकी स्मृति जीवनभर मेरे साथ रहेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब मैं चुनाव हारा तब भी उन्होंने मुझे समर्थन देने का कार्य किया। जैसे ही उन्हें यह सूचना मिली तत्काल ही उन्होंने मेरे लिए सीट खाली करने की घोषणा की। उनके इस स्नेह  को मैं कभी नहीं भूला सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि गहतोड़ी  चंपावत की जो जिम्मेदारी मुझे देकर गए हैं, उनके उस हर सपने को पूरा करने के लिए मैं प्रतिबद्ध हूँ।

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