उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने फीस वापस न करने के प्रकरण में की सुनवाई, डिफेंस एकेडमी से मांगा छात्रों का संपूर्ण ब्यौरा
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना के सामने शिकायतकर्ता ने विस्तृत रूप से रखा अपना पक्ष
कोचिंग संस्थानों के छात्रों को अच्छी सुविधा न देने पर जताई गई चिंता
देहरादून। उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डा गीता खन्ना की अध्यक्षता में सुनवाई की गई। आयोग सुनवाई पैनल में सदस्य विनोद कपरवाण, अनुसचिव डा एसके सिंह, विधि अधिकारी ममता रौथाण व वरिष्ठ सहायक नितिन कुमार राणा मौजूद रहे। सुनवाई के लिए शिकायतकर्ता जाॅन डी सूजा, बेंगलाॅर व एक निजी डिफेन्स अकादमी विपक्षी देहरादून उपस्थित रहे। शिकायकर्ता ने बताया कि उनके द्वारा एकेडमी में अपनी पुत्री का दाखिला एनडीए कोचिंग के लिए कराया, जिसमें उनके द्वारा पूरी फीस जमा की गई। लेकिन उनकी पुत्री ने वहां अध्ययन नही किया , जिस पर शिकायतकर्ता ने डिफेंस एकेडमी से पूरी फीस वापस किये जाने का अनुरोध किया । लेकिन एकेडमी द्वारा पूरा एक वर्ष बीत जाने के बाद भी भी शिकायतकर्ता की धनराशि का भुगतान नही किया गया तथा बालिका का दाखिला अन्यत्र विद्यालय में कराये जाने के लिए अभिभावक को बाधित किया जाता रहा।
आयोग ने सुनवाई में आदेश पारित किया कि एकेडमी अपने सभी छात्रों की सूची, उनका नाम, पता, मोबाईल नम्बर व किस विद्यालय से आये हैं प्रदान करेंगें। साथ ही एकेडमी के विद्यालयों के साथ हुए अनुबन्ध भी आयोग में प्रस्तुत करेंगें। एकेडमी के अन्तर्गत जितने हाॅस्टल अनुबंधित हैं उनकी सूची विवरण सहित आयोग में उपलब्ध करायेगा व फीस वापसी सम्बन्धित निर्णय लेने के लिए अगली सुनवाई तिथि निर्धारित की गई।
डा गीता खन्ना ने कहा कि उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों विशेतः जनपद देहरादून में कोचिंग संस्थान बहुतायत मात्रा मेें खुले है, जिनके द्वारा बच्चों को अच्छी शिक्षा व रहने के लिए बेहतर हाॅस्टल प्रदान नही किया जा रहा है। हाॅस्टल के नाम पर छोटे छोटे कमरों में बच्चों को भेड बकरियों की तरह डाल दिया जाता है, जो कि किसी भी मानको के अनुरूप नही है तथा समय समय पर विद्यालय बदलने के लिये भी बाधित किया जाता है, जिससे बच्चों के शैक्षणिक व बौधिक विकास पर प्रभाव पड रहा है।
मासूमो के अभिभावकों द्वारा कोचिंग संस्थानों की लुभावनी वेबसाईटस को देखते हुये अपने बच्चों का दाखिला उनके बेहतर भविष्य के लिये यहां करा दिया जाता है, लेकिन समय समय पर फीस की मांग, अनियमित शिक्षा, खराब हाॅस्टल के कारण जब अभिभावक अपने बच्चों को वहां से निकालने का प्रयास करते है तो उन्हें अन्यत्र विद्यालय में स्थानांतरित किये जाने तथा बेहतर सुविधा का प्रलोभन दिया जाता है। यह भी एक चिंता का विषय है कि एक छात्र का हर वर्ष अलग अलग विद्यालय में दाखिला किस प्रकार कराया जा सकता है। सीबीएसई द्वारा भी छात्र का दाखिला हर वर्ष अलग विद्यालय में कराया जाना केवल विशेष परिस्थिति में ही संभव है।
आयोग सदस्य विनोद कपरवाण ने कहा कि देहरादून में जगह जगह पर खुले कोचिंग संस्थानों द्वारा बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के साथ खिलवाड करते हुये उनके जीवन कौशल को क्षति पहुचायीं जा रही है। छात्रों को उनके मूल शिक्षा से दूर किया जाता है, उन्हें रहने के लिये मूलभूत सुविधायें प्रदान नही की जाती है, जिस कारण बच्चों के मानसिक व बौधिक विकास पर गहरा असर पड रहा है, जिससे बच्चे नशे व खराब संगत की तरफ अग्रसर हो रहे हैं।