विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल-2024 का रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुआ आगाज, पर्यटन मंत्री महाराज ने किया उद्घाटन
विरासत की पहली शाम छोलिया नृत्य और वायलिन वादन के नाम रही
डॉ.एन.राजम एवं रागिनी शंकर के जुगलबंदी में वायलिन वादन किया पेश
देहरादून। उत्तराखण्ड के जाने-माने सांस्कृतिक कार्यक्रम ’विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल 2024’ का शुभारंभ उत्तराखण्ड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने दीप प्रज्वलन के साथ डॉ.बी.आर.अंबेडकर स्टेडियम (कौलागढ़ रोड) देहरादून में हुआ।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने विरासत महोत्सव 2024 के विधिवत शुभारंभ करने के बाद कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण होने से पूर्व विरासत महोत्सव का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता रहा है, यह आयोजन निरंतर 30 वर्षों से अपने आयोजनों की छटा बिखेरता चला आ रहा है और विश्व भर में अपनी छाप सांस्कृतिक विरासत के रूप में बनाए हुए है। पर्यटन मंत्री महाराज ने कहा कि आज के आयोजन में उत्तराखंड का प्रसिद्ध छोलिया नृत्य किया गया है जो कि ह्यूमन चैन को सिखाता है। महाराज ने यह भी कहा कि छोलिया नृत्य युद्ध कौशल को बताता है। उन्होंने उत्तराखंड के ढोल को भी संस्कृति से जोड़ते हुए कहा कि ढोल वादक वास्तव में सामवेद से निकलता हुआ एक वादक है। इस ढोल सागर में बहुत सी विद्याएं समाहित हैं। इस अवसर पर उन्होंने पर्यटकों के लिए होम स्टे और अधिक आगे बढ़ाने की बात भी कहीं और कहा कि आज 5000 की संख्या में होम स्टेट रजिस्टर्ड हो चुके हैं । ऐसे होम स्टे हमें आगे बढ़ने चाहिए, ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके ।
कार्यक्रम में विरासत महोत्सव के महासचिव आरके सिंह ने कहा कि रिच संस्था की और से लगातार तीसवीं वर्षगांठ विरासत का यह आयोजन करते हुए मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इन आयोजनों को करने से विरासत को लगातार ताकत मिल रही है और विश्व भर में इसकी रोशनी और लौ पहुंचती रहेगी ।इस मौके पर मुख्य रूप से कार्यक्रम में गीता खन्ना अध्यक्ष, बाल कल्याण आयोग, उत्तराखंड, ओएनजीसी की ओर से आर.एस. नारायणी कार्यकारी निदेशक, कॉर्पोरेट प्रशासन प्रमुख,आयोजन के कार्यक्रम निदेशक लोकेश ओहरी, ट्रस्टी हरीश अवल, संयुक्त सचिव विजयश्री जोशी, निदेशक क्राफ्ट सुनील वर्मा, मीडिया प्रभारी प्रियवंदा अय्यर, कार्यालय प्रशासक प्रदीप मैथल आदि मौजूद रहे।कार्यक्रम की शुरुआत छोलिया नृत्य के साथ हुई ।
संस्कृति कार्यक्रम के दूसरी प्रस्तुति में डॉ.एन.राजम एवं रागिनी शंकर के जुगलबंदी में वायलिन वादन प्रस्तुत किया