जल है तो जीवन है: जलस्रोतों, धाराओं व नदियों के पुनर्जीवीकरण का एक्शन प्लान ना मिलने पर मुख्य सचिव राधा रतूडी ने दिखाए कड़े तेवर , जिलाधिकारियों को दी एक सप्ताह की डेडलाइन
जिलें में तत्काल एक पूर्णकालिक समर्पित जलागम नोडल अधिकारी तैनात करने के निर्देश
देहरादून। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं, जलधाराओं में पानी की उपलब्धता कम हो रही है। इस वर्ष सर्दियों में बारिश ना होने से अब गर्मी के मौसम में कई स्थानों पर पेयजल का संकट भी परेशान कर रहा है। ऐसे में प्राकृतिक जल स्रोंतो को रिचार्ज करने के लिए शासन ने जिलों से एक्शन प्लान देने को कहा गया था लेकिन जलस्रोतों, धाराओं व नदियों के पुनर्जीवीकरण के सम्बन्ध में जिलों से एक्शन प्लान प्राप्त ना होने पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस सम्बन्ध में जिलाधिकारियों को एक सप्ताह की डेडलाइन दी है। विषय की गम्भीरता को देखते हुए सीएस ने जिलाधिकारियों को इस कार्य के लिए जिलें में तत्काल एक पूर्णकालिक समर्पित जलागम नोडल अधिकारी तैनात करने के निर्देश दिए हैं। बैठक में अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन, प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, सचिव शैलेश बगौली सहित संबंधित विभागों के अधिकारी एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी मौजूद रहे।
मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को तीन दिन के भीतर जिला स्तरीय स्प्रिंग एंड रिवर रेजुवेनेशन अथॉरिटी (सारा) की बैठक लेने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी को इस अभियान से प्रमुखता से जोड़ने के निर्देश दिए हैं। सीएस ने अपर मुख्य सचिव वित्त को निर्देश दिए कि विभिन्न माध्यमों जैसे मनेरगा, नाबार्ड, कैम्पा, पीएमकेएसवाई से जलस्रोतों व नदियों के पुनर्जीवीकरण के लिए फण्डिंग यूटिलाइजेशन के सम्बन्ध में बैठक करने के लिए पत्र जारी किया जाए। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बुधवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में सम्बन्धित अधिकारियों को राज्य के जलस्रोतों, नदियों, सहायक नदियों, धाराओं के पुनर्जीवीकरण के लिए जिलावार योजना के स्थान पर होलिस्टिक एंड इंटीग्रेटेड अप्रोच पर कार्य करने के निर्देश दिए हैं।
145 क्रिटिकल जल स्रोतों सहित कुल 412 सहायक नदियां, धाराएं एवं 6 नदियां उपचार के लिए चिन्हित
जल संरक्षण अभियान 2024 के तहत विकासखंड स्तर पर क्रिटिकल जल स्रोतों के उपचार का लक्षयों में बताया गया है कि क्रिटिकल जल स्रोतों के चिन्हीकरण के लिए पेयजल विभाग एवं जल संस्थान द्वारा चिन्हित ऐसी पेयजल योजनाएं जिसमें जल का प्रवाह अत्यधिक कमी हो रही है, इसका उपचार भी किया जाना है। केंद्रीय भू-जल बोर्ड द्वारा चिन्हित 4 मैदानी जनपदों में चिन्हित एक्विफ़र के रिचार्ज क्षेत्रों में योजना बनाकर क्रियान्वयन की कार्यवाही प्रारंभ की जा सकती है। पेयजल विभाग एवं जल संस्थान विभाग द्वारा 145 क्रिटिकल जल स्रोतों सहित कुल 412 सहायक नदियां, धाराएं एवं 6 नदियां उपचार के लिए चिन्हित की गई हैं।