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उत्तराखंड : श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में  बेसिक लाइफ सपोर्ट पर कार्यशाला आयोजित  विद्यार्थियों को जीवन रक्षक कौशल से जुड़े उपकरणों व महत्वपूर्णं बिन्दुओं के बारे में दी जानकारी 

देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के फिजियोथेरेपी विभाग के द्वारा बेसिक लाइफ सपोर्ट कार्यशाला का आयोजन किया गया। एसजीआरआरयू स्कूल ऑफ पैरामेडिकल एंड एलाइड हेल्थ साइंसेज के फिजियोथेरेपी विभाग एवम् एनेस्थीसियोलॉजी विभाग के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में विद्यार्थियों को जीवन रक्षक कौशल से जुड़े उपकरणों एवम् महत्वपूर्णं बिन्दुओं के बारे में जानकारी दी गई। कार्यशाला ने विद्यार्थियों को न केवल तकनीकी कौशल प्रदान किए, बल्कि उन्हें जीवन बचाने की जिम्मेदारी और जागरूकता से भी जोड़ा।
कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने बढ़चढ़कर भागीदारी की।
कार्यक्रम की शुभारंभ विश्वविद्यालय के सम्माननीय अध्यक्ष श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रो. डॉ. कुमुद सकलानी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. डॉ. उत्कर्ष शर्मा, चिकित्सा अधीक्षक,  डॉ. अजय पंडिता, और डॉ. गौरव रतूड़ी ने विचार व्यक्त किए।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर  एसजीआरआरयू स्कूल ऑफ पैरामेडिकल एंड एलाइड हेल्थ साइंसेज डीन प्रो. डॉ. कीर्ति सिंह ने छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें सीखे गए चिकित्सा कौशल का उपयोग कर जीवन बचाने की दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। उनकी प्रेरणादायक बातें सभी प्रतिभागियों के मन में गूंज उठीं।  कार्यशाला का मुख्य आकर्षण प्रो. डॉ. रोबीना मक्कर द्वारा प्रस्तुत एक आकर्षक वीडियो, व्याख्यान और व्यावहारिक सत्र रहा। छात्रों ने उत्साहपूर्वक तकनीकों का अभ्यास किया। एनेस्थीसियोलॉजी विभाग की डॉ. अदिति शर्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा। डॉ. रोबीना मक्कर ने कार्यशाला का सार प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह पहल चिकित्सा आपात स्थितियों में तत्परता और त्वरित प्रतिक्रिया की संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित होगी, जिससे विद्यार्थी जीवन बचाने में सक्षम बन सकें।
कार्यक्रम का समापन सभी अतिथियों, शिक्षकों और आयोजन टीम के सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए हुआ। कार्यक्रम में डॉ. शारदा शर्मा, प्रो. डॉ. नीरज कुमार, डॉ. शमा प्रवीन, डॉ. संदीप कुमार, डॉ. मंजुल नौटियाल, डॉ. सुरभि थपलियाल, डॉ. तबस्सुम, डॉ. रविंद्र, और डॉ. दीपा जुयाल का विशेष योगदान रहा।

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